Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र - गज़ब बिहार

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Sunday 7 July 2019

Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र

Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र

Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र

आज हम अपने ब्लॉग ग़ज़ब बिहार के माध्यम से आपको बताएंगे Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र और चर्चा करेंगे बिहार के एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्होंने अपनी चाहत और लगन की बदौलत ना सिर्फ अपने तक़दीर की कहानी लिखी, बल्कि कई अन्य छात्रों के सपनों को भी एक नई उड़ान दी। और जहां से हर टैलेंट को एक आसमान मिला उड़ान के लिए उसका नाम है "Super 30".

Super 30 के संस्थापक आनंद कुमार

कहते हैं कि चाह लो अगर दिल से तो कोई मंज़िल दूर नहीं। और यह बात पूरी तरह से यथार्थ साबित होती है आनंद कुमार पर। साधारण से दिखने वाले आनंद कुमार ने वो असाधारण काम कर दिखाया, जिसके बारे में लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

शुरुवाती सफ़र का किस्सा

सन 1994 का वह दौर था, जब Super 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने सपना देखा कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने की। मेधावी आनंद कुमार ने बाज़ी मार ली। यानि कि उनका सपना सच होता हुआ नज़र आने लगा जब उनको कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल गया।
लेकिन कहते हैं ना कि मुश्किलें हर मोड़ पर इंसान का इम्तिहान लेती है और कुछ ऐसा ही आंनद कुमार के साथ। जब पता चला कि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने की फीस बहुत ज़्यादा है। उन्होंने सोचा कि मेरे पास तो वहां  जाने के लिए पैसे नहीं है , फिर मैं इतनी रकम कैसे दे पाऊंगा कॉलेज में फीस के तौर पर।
Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र
Super 30

और यही पर रुक गया आंनद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की तरफ जाने वाला सफ़र। लेकिन कहते हैं कि "जिनके अपने सपने पूरे नहीं होते, वो अपने दम पर दूसरों के सपने पूरे करते हैं"। और यहां से एक नई यात्रा शुरू हुई आनंद कुमार की।

छोटे से कोचिंग की आनंद कुमार ने की शुरुवात

आनंद कुमार के घर पर उनकी माँ पापड़ बनाती थी और उसी से उनके घर का खर्च निकलता था। फिर आनंद कुमार ने 500 रुपये का एक कमरा किराए पर लिया और स्टूडेंट को पढ़ाना शुरू किया। मेहनत तो किसी ना किसी दिन रंग लाती है, जब आप लगातार अपना काम करते जाते हैं। और ऐसा ही हुआ आनंद कुमार के साथ। महज़ 3 साल में ही आनंद कुमार की कोचिंग में छात्रों की संख्या 500 हो गई और दिन प्रतिदिन यह संख्या बढ़ने भी लगी और फिर उनका सफ़र रफ्तार पकड़ लिया।

कैसे बना सुपर 30?

सन् 2000 का दौर था ।तब एक गरीब छात्र आनंद कुमार के पास आया, जो IIT-JEE करना चाहता था, लेकिन फीस और अन्य खर्च के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। यहीं से आनंद कुमार के मन में विचार आया कि कुछ अलग और नया कर सकते हैं। हम अपनी बदौलत सबके सपने पूरे करेंगे। और फिर इस पर प्लान करते करते  आनंद कुमार ने 2002 में Super 30 प्रोग्राम की शुरुआत की,  जहां गरीब बच्चों को IIT-JEE  की मुफ्त कोचिंग दी जाने लगी।  

Super 30 बन गया मिसाल

चाहत जब कुछ कर गुजरने की हो, तो आपको दुनिया की कोई ताक़त रोक नहीं सकती। ऐसा ही हुआ आनंद कुमार के साथ। Super 30 अब सबके लिए मिसाल बन गया तह। ब्रांड बन गया था। Super 30 में 30 छात्रों का एडमिशन होता है और सभी के सभी छात्र IIT में क्वालिफाई करते हैं।

आनंद कुमार की उपलब्धि

गरीब बच्चो को आईआईटी जेईई की कोचिंग देने के लिए उनका नाम सन 2009 में लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में भी शामिल किया गया है। उनके कोचिंग Super 30 के इस अभियान को ‘टाइम’ मैगज़ीन में ‘बेस्ट ऑफ़ एशिया 2010’ कीसूची में भी शामिल किया गया था।
आनंद कुमार के इस ‘सुपर 30’ अभियान पर मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल पर एक घंटे की डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गयी थीउनकी इस जबरदस्त कहानी को ‘द न्यू यॉर्क टाइम्स’ में भी प्रकाशित किया गया था।

और अब बड़े पर्दे पर दिखेगी Super 30 और आनंद कुमार की कहानी

कई उपलब्धियां अपनई जिंदगी में हासिल करने वाले आनंद कुमार और Super 30 के ऊपर एक फ़िल्म बनने जा रही है जिसका नाम है "Super 30". इस फ़िल्म में सुपरस्टार रितिक रोशन मुख्य भूमिका में नज़र आएंगे। अभी से है यह फ़िल्म चर्चा का विषय बनी हुई है और दर्शक इसके रिलीज होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

Conclusion
तो दोस्तों! यह थी Super 30 और आनंद कुमार की कहानी। बिहार के इस होनहार व्यक्तित्व को आज पूरी दुनिया सलाम करती है और ग़ज़ब बिहार ब्लॉग इन पर नाज़ करता है। 
हमने अपने ब्लॉग के ज़रिए बताया Super 30: Real Life से Reel Life तक का सफ़र। उम्मीद है हमारा पोस्ट आपको पसंद आएगा। अगले सफ़र में फिर से मुलाक़ात होगी आप सभी से एक ऐसे ही बिहार के रोचक विषय के साथ। जुड़े रहिये ग़ज़ब बिहार के साथ और शेयर कीजिये आप भी अपनी बातें।

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